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एक शेर पेड़ की छाया में सो रहा था। उसी पेड़ के पास बिल में एक चूहा रहता था। वह खेलने के लिए अपने बिल से बाहर निकला और सोए हुए शेर के पास इधर-उधर दौड़ने लगा।
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इससे शेर की नींद टूट गयी। उसने चूहे को पंजे मे धर दबोचा। बेचारा चूहा भय से कॉपने लगा। चीं-चीं करते हुए उसने शेर से कहा, “हे जंगल के राजा, कृपया मुझे माफ कर दीजिए। मुझ पर दया कीजिए। मुझे छोड़ दीजिये। इस अहसान का बदला एक दिन मैं जरूर चुका दूगाँ।”
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शेर एक शिकारी के जाल मे फँस गया था। उसने जाल से निकलने की भरसक कोशिश की, पर उसे सफलता नही मिली। चूहा दौड़ता हुआ शेर के पास आया। उसने शैर से कहा, “जंगल के राजा, आप चिंता न करें। मै अभी आप को आजाद कर देता हूँ। चूहा अपने तेज दाँतो से जाल को कुतरने लगा।
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चूहे की इस मदद से शेर कुछ देर में आजाद हो गया और उसने चूहे को धन्यवाद दी. बाद में दोनों साथ मिलकर जंगल की और चले गए।
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